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शहादत को सलाम:, भगत सिंह के फांसी के विषय पर यह लेख अवश्य पढ़े लोग,

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दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में मुकद्दमा चला तो भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने को कोई तैयार नहीं हो रहा था। बड़ी मुश्किल से अंग्रेजों ने दो लोगों को गवाह बनने पर राजी कर लिया। इनमें से एक था शादी लाल और दूसरा था शोभा सिंह। मुकद्दमे में भगत सिंह को उनके दो साथियों समेत फांसी की सजा मिली। इधर दोनों को वतन से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला। दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले।सोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले जबकि शादी लाल को बागपत के नजदीक अपार संपत्ति मिली। आज भी श्यामली में शादी लाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब कारखाना है। यह अलग बात है कि शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से कफन का कपड़ा भी नहीं दिया। शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर लाए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था। शोभा सिंह अपने साथी के मुकाबले खुशनसीब रहा। उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली